Sunday, October 25, 2009

कृष्ण.....

"जैसे मौत एक ख्याल है वैसे जिंदगी एक ख्याल है, न सुख है न दुःख है न दीन है न दुनिया, सिर्फ मैं हूँ, मैं हूँ, सिर्फ मैं | " ये पंक्तियाँ हिंदी फिल्म गाइड से ली हुई है, फिल्म में तो वैसे बहुत कुछ है, पर मुझे सबसे ज्यादा यही पसंद आती है | कृष्ण, कौन है ये, एक नाम, या कोई भगवान, या कोई विचारक, जिसके विचार सारी दुनिया में चर्चित है|  सबका अपना अपना मानना है, मैंने कृष्ण को कई रूप में देखा है, नहीं नहीं इसका मतलब ये नहीं की मैंने उन्हें वास्तविक्ता में देखा है, मैंने उन्हें भारत में कई पहलुओं में देखा है | कोई उनको भगवान मानके पूजता है तो कोई अपना अब कुछ मान के, कोई उनके विचारों को पत्थर की लकीर मानता है तो कोई उन्हें मार्गदर्शक कहता है| कहते है की उनके करोड़ नाम है, पता तो मुझे भी नहीं है, परन्तु मेरे लिए कृष्ण एक विचार है | जिसके बारे में जितना चिंतन करो उतना कम है | मैं कई बार सोचता हूँ, कि क्या वास्तविक्ता में कोई ऐसा रहा होगा, अगर होगा तो क्या ये सब सच रहा होगा जो हम बचपन से सुनते आये है ?? या किसी विद्वान का काल्पनिक पात्र है कृष्ण | क्या ये आत्मा का विचार सही है ? क्या हम बार बार जन्म लेते है ? मुझे नहीं पता और मुश्किल बात यह है कि मैं इस जन्म में तो यह नहीं जान पाउँगा | 
 
लेकिन कृष्ण के विचार कर्म के बारे में बड़े सही लगते है, कि यदि कर्म करो तो ही मैं मिलूँगा, मैं से मतलब कृष्ण से है, और वैसे भी उन्होंने अपने आप को सबकुछ बताया है | तो सोचने वाली बात यह है कि यदि आप कर्म करो तो आपको सच में सबकुछ मिलता है| हालाकि, यह बात १००फि सदी सच नहीं मानी जा सकती पर कुछ तो सत्यता है ही | परन्तु यहाँ एक और बड़ा अजीब विचार है, निष्काम कर्म का, मुझे समझ नहीं आता कि जब तक आज कि दुनिया में किसी को किसी से काम न हो तो वह काम ही क्यों करेगा | जब तक कर्म में स्वार्थ लीन न हो तो कोई भी कर्म कैसे कर सकता है | बिना स्वार्थ के तो कोई पानी भी नहीं पूछता, आजकल तो पानी कि बोतल भी पैसा दे कर ही ली जा सकती है| शायद यह विचार उस समय के हिसाब से सही रहा होगा | परन्तु बात घूम फिर के वही आती है, किस समय के? यह गीता पाठ किसने लिखा, क्या बोले हुए शब्दों और उसके लिखित स्वरुप में कोई फर्क नहीं रहा होगा? अगर मैं यह मानू भी कि यह सब कृष्ण ने कहा, परन्तु मेरा प्रश्न यह है कि उसे लिखा किसने? क्यूंकि वेद व्यास जी ने भी सिर्फ कह कर ही सारी महाभारत गणेश जी से लिखवाई थी | गणेश जी का भी कोई वास्तविक स्वरुप नहीं है|
 
मैं अपने आप को इतना विद्वान या विचारक नहीं समझता कि कृष्ण या उनके विचारों कि आलोचना कर सकूँ, परन्तु यह मेरे छोटे दिमाग कि छोटी सी दुविधा है कि मैं कृष्ण को क्या मानू |  भगवान, तारनहार या कोई बहुत बड़ा विद्वान या सबकुछ | विचार सबके अलग अलग हो सकते है, परन्तु मैं कृष्ण को अपना वैचारिक मित्र मानता हूँ | जब भी मैं उदास होता हूँ या परेशान होता हूँ, मैं कृष्ण के बारे में सोचने लगता हूँ, उनके विचारों के बारे में मंत्रणा करता हूँ | उनके विचारों से प्रेरित भी होता हूँ और उनको गलत भी कहता हूँ | मैंने कभी कृष्ण को नहीं देखा, न मैं बहुत बड़ा विद्वान हूँ | मैं सिर्फ कृष्ण नाम से उत्तेजित होता हूँ, उनके बारे में बात करना अच्छा लगता है, अगर इसी को भक्ति कहते है तो आप ये भी कह सकते है कि मैं कृष्ण का भक्त हूँ, परन्तु मैं पूजा पाठ ज्यादा नहीं करता | बस यही मानता हूँ कि यदि कृष्ण नाम कि कोई शक्ति यहाँ है तो हे कृष्ण! मेरे सारथि बन जाइये, मुझे सही राह दिखाइए |
 
मैं नहीं जानता इन बातों को कितने लोग पड़ेंगे और क्या समझेगे पर मैं इतना जानता हूँ कि कम से कम अपने विचार मैं यहाँ बे झिझक रख सकता हूँ | कृष्ण के बारे में कई और लोगों ने कई अच्छी बात कही होगी और कहते भी होगे परन्तु मैं यहाँ कृष्ण के विचारों के बारे सोच रहा हूँ| जानता हूँ कि कृष्ण मेरी समझ के परे है, इसीलिए उन्ही से कहता हूँ कि    "हे कृष्ण!! मेरे सारथि बन जाइये, क्यूंकि यदि आप मेरे सारथि बने तो मेरा रथ कभी गलत राह नहीं जायेगा |"

9 comments:

  1. बहुत बढिया शैली पसंद आई,आगे भी लिखे,
    आप का स्वागत करते हुए मैं बहुत ही गौरवान्वित हूँ कि आपने ब्लॉग जगत में पदार्पण किया है. आप ब्लॉग जगत को अपने सार्थक लेखन कार्य से आलोकित करेंगे. इसी आशा के साथ आपको बधाई.
    ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं,
    http://lalitdotcom.blogspot.com

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  2. ब्लॉग परिवार में आपका स्वागत है!लिखते रहें और पढ़ते रहें ...तभी आपका आना सार्थक होगा..

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  3. ब्लॉग परिवार में आपका स्वागत है

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  4. बहुत अच्छा लेख है। ब्लाग जगत मैं स्वागतम्।

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  5. हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.....
    इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूं

    www.samwaadghar.blogspot.com

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  6. Apka chintan mere vicharo se kafi saman sa laga.Disha ev dashaa ne prabhavit kiya .dhnyavaad.

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  7. आपकी सोच अच्छी है ।
    लिखते रहें ।

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