Thursday, August 30, 2012

शादी होने के कारण

प्रणाम!!  चलिए अब तो मैंने भी ये मान ही लिया है की मेरी शादी हो ही जाएगी। आखिर लड्डू खाने का निश्चय मैंने कर ही लिया। सही किया की गलत किया, ये तो और बात है, मैं इसके बारे में आज तो नहीं लिख सकता। परन्तु शादी के होने के पहले क्या क्या होता है, इस्पे व्याख्यान अवश्य प्रस्तुत कर रहा हूँ। अनुभव कुछ विशेष तो नहीं परन्तु मनोरम अवश्य है; सबसे पहले यदि आप मुस्कुराते भी हो तो आपको यही कहा जाता है "क्या बात है आजकल तो मुस्कराहट कुछ ज्यादा बढ़ गयी है?" मैं मन में बस यही सोचता हूँ की "मुस्कराहट तो पहले से थी, अब मोटापे के कारण  ज्यादा चौड़ी दिखती है।" कभी कभी तो मुस्कुराने में या हंसने में डर लगता है, की कहीं मेरी होने वाली पत्नी को दूरभाष न कर बैठे।

सबसे परेशान करने वाली बात है की, यदि आपके साथ कुछ अच्छा हो जाये तो "ये तो तुम्हारी पत्नी के पुण्य कर्मों का फल है"; और यदि कुछ गलत हो जाये तो "अभी तक जो किया वो तो तुमको ही भुगतना पड़ेगा"। जिन्हें पता नहीं है उन्हें भी बता दूँ, की शादी के पहले आपके साथ हर बात पर भेद भाव किया जायेगा। ज्यादा वेतन मिला तो पत्नी ने कराया, और ज्यादा नुक्सान हो गया तो उसका ज़िम्मेदार मेरे गलत निर्णय। और सबसे अशांत करने वाली बात है की आप किसी और लड़की या महिला को देखकर खुश नहीं हो सकते। सबसे पहले आपके चरित्र के ऊपर प्रश्न रख दिया जायेगा। "क्यूँ तुम अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आओगे?" अरे भाई जब हरकत करूँगा तब तो बाज़ आऊंगा। और गलती से आपने कहीं किसी सुंदर कन्या को देखकर मुस्कुरा दिया, तो भाईसाब आपके तो लेने के देने पढ़ जायेंगे। आपकी पत्नी कुछ नहीं बोले परन्तु उसके आस पास वाले, मेरे मित्र, और वह व्यक्ति जिससे मेरा कुछ लेना देना नहीं है सबसे ज्यादा आहत हो जाएंगे। आधे पौन घंटे का खामखा का व्याख्यान सुनना पढ़ जायेगा, की मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

और अब से आप जहाँ भी जायेंगे आपको मुफ्त की सलाह मिलनी प्रारंभ हो जाएगी "शादी के बाद ऐसा करना, शादी के बाद ऐसा मत करना; लोगों से ऐसे बात करना, ऐसे बात मत करना; अपनी पत्नी को ऐसे समझाना, और ऐसे मत समझाना; अब तुमको ऐसा करना पड़ेगा, और अब तुम ऐसा नहीं कर सकते। सबसे अनोखी सलाह जो सब देते है वो भी पूर्णतः मुफ्त कि  "अब तुम्हे ज़िम्मेदार बनना पड़ेगा, अब तुम वो नहीं कर सकते जो अब तक करते आये हो, अपनी ज़िम्मेदारी समझो"। भईसाहब बात समझो, ज़िम्मेदारी तो मैं अपनी उठा लूँ यही एक बड़ी उपलब्धि हो जाएगी, दुसरे व्यक्ति की ज़िम्मेदारी उठाना मतलब olympics में स्वर्ण पदक प्राप्त करने के बराबर होगा। (यह कहने पे आगे क्या हुआ, अवश्य बताऊंगा!!)........

बस आज के लिए इतना पर्याप्त है, आगे जब और मुसीबत मोल लेने का मन करेगा और बताऊंगा, शादी के कारण। ऐसा मत सोचियेगा की कहानी यहीं समाप्त हुई, यह तो सिर्फ दिलचस्प शुरुआत है, पूरा चलचित्र तो अभी बचा हुआ है। नमस्कार!! 

1 comment:

  1. !........Wishing you all the health and happiness in this world on your wedding.........!

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