Thursday, November 10, 2011

मेरी व्यथा!!

चूहों ने जगह बनाई है, मेरी कुर्सी के नीचे,
मच्छर भी भिनभिनाते हैं, मेरे कानों के पीछे,
आज चाय में मक्खी डाल के, पूरा कप पी के आया हूँ,
आज बड़े दिनों के बाद, मैं खाने पर आया हूँ |

उसके चेहरे से नज़र हटती ही नहीं, जिसके टिफिन का खाना मैं खा के आया हूँ,
यही सज़ा मुझे मिली है की दुसरे का टिफिन चट्ट किया,
आज अपने साथ, हाजमोला भी लेकर आया हूँ ||

"कूल्ज़"